Sunday 19 March 2017

Chandigarh - The City Beautiful



मनाली यात्रा के दौरान चूंकि हमने चंडीगढ़ को ही बेस बनाया था इसलिए हमारे पास मनाली जाते समय एक दिन और मनाली से लौटते समय एक दिन चंडीगढ़ घूमने का मौका था।  यूँ तो चंडीगढ़ की खूबसूरती को निहारने के लिए एक दिन का समय पर्याप्त है किन्तु इस शहर के अलग अलग मिजाज को देखने और परखने का मज़ा भी कुछ और है। संयोगवश हमें मौसम की विभिन्न छटाओं में इस शहर के सुन्दर पर्यटन स्थलों के भ्रमण का अवसर मिला। प्रख्यात फ्रेंच आर्किटेक्ट ले कॉर्बुसियर द्वारा योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया यह शहर भारत के शहरी प्लानिंग के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है।

चंडीगढ़ पहुँचने के घंटे भर के अंदर ही हमलोग मशहूर रॉक गार्डन की और चल पड़े थे क्योंकि शाम घिर आयी थी और गार्डन में प्रवेश का समय समाप्त न हो जाये , यह चिंता हो रही थी। शहर से लगभग ३ किमी दूर होने की वजह से हमलोग जल्द ही गार्डन पहुँच गए और एंट्री टिकट लेकर अंदर प्रवेश कर गए। अंदर प्रवेश करने पर ये पता चला कि किन्हीं नेकचंद जी के अथक प्रयासों से यह 1957 में अस्तित्व में आया और वर्तमान में चंडीगढ़ शहर की पहचान बन चुका है।

रॉक गार्डन, चंडीगढ़ 

रॉक गार्डन में प्रवेश करते ही पत्थरों एवं अन्य धातुओं से बनी कलाकृतियाँ मन मोह लेती हैं। कई कलाकृतियों में अपशिष्ट पदार्थों (waste materials) का भी उपयोग किया गया है। गार्डन के अंदर के रास्ते भी किसी भूल-भूलैया से कम नहीं हैं। ऐसे में अन्य पर्यटकों की आवाज़ से आप आगे के रास्ते का अनुमान लगा सकते हैं। तंग गलियों से आगे बढ़ते हुए सहसा हमारी नजर इस झरने पर गयी और साथ ही दिखे झरने के पास खड़े कई सारे टूरिस्ट। कुछ देर तो झरने की कल-कल करती आवाज़ के सानिध्य में समय बिताना लाजिमी था और हम भी बढ़ लिए पानी के समीप बाल-सुलभ उत्सुकता लिए - कपड़ों के भींगने के डर से परे।

कुछ वक़्त झरने के पास 


रॉक गार्डन में करीब घंटे भर घूमने के बाद हमलोग गार्डन से एक-डेढ़ किमी दूर सुखना लेक चले गए, हालाँकि शाम घिर आयी थी फिर भी झील किनारे बैठ मंद-मंद हवा का आनंद उठाना भला किसे अच्छा नहीं लगता। तीन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली यह विशालकाय झील चंडीगढ़ के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में  एक है जहाँ न सिर्फ पर्यटक, बल्कि स्थानीय लोग, बच्चे, औरतें एवं फिटनेस के शौक़ीन युवा भी बड़ी संख्या में आते हैं। झील से सूर्योदय का दृश्य भी काफी शानदार होता है ऐसा हमें वहां पहुँचने पर पता चला। हमने अगली सुबह फिर से झील आने का निश्चय किया ताकि सूर्योदय के नज़ारे को देखा जा सके। वैसे शाम का नजारा भी कुछ कम मनमोहक नहीं था और चहल पहल भी काफी थी। कई लोग झील में बोटिंग करते दिखाई पड़ रहे थे और माहौल कुछ उत्सव जैसा बना हुआ था। कुछ देर झील किनारे बने बांध पर बैठने के बाद हमलोग अपने गेस्ट हाउस की ओर चल दिए। 

सुखना झील
अभी हमलोग झील से सड़क की तरफ कुछ ही दूर गए थे कि एक सुखद आश्चर्य हमारा इंतज़ार कर रहा था और वो था आसमान में पंख फैलाये इंद्रधनुष। अपनी किस्मत को धन्यवाद देते हुए मैं इस सतरंगी छटा को अपने कैमरे मैं कैद करने में जुट गया।
इंद्रधनुष 
अगली सुबह हमें मनाली के लिए भी निकलना था पर हमने सुखना झील और रोज गार्डन के लये थोड़ा वक़्त निकाल लिया था और हमलोगों ने अपने ड्राइवर जो कि हमारे आगे के पूरे ट्रिप के दौरान हमारे साथ रहने वाले थे, उन्हें भी झील और रोज गार्डन होते हुए मनाली चलने के बारे में बता दिया था। 

तड़के सुबह हमलोग अपने सामान के साथ झील की तरफ चल पड़े और सूरज की लालिमा हमारा स्वागत कर रही थी। प्रातः काल की लालिमा से ओत-प्रोत झील और झील में तैरते हंसों के समूह को देखना बहुत ही खुशनुमा एहसास था। समय का बिल्कुल भी पता नहीं चला की कब सूरज की रक्तिम किरणें सुनहली हो चलीं थीं और झील के आस-पास लोगों की आवा-जाही भी बढ़ गयी थी। 
                                               सुखना झील से सूर्योदय का दृश्य                                                   इमेज सौजन्य : chandigarhmetro.com

हमलोग झील के किनारे बने बाँध पे चल रहे थे और हमारा ध्यान इस पुराने और जर्जर टावर ने आकर्षित किया। टावर तक जाने का रास्ता अब बंद हो चुका है, हालाँकि हमें लोगों से बात-चीत से यह पता चला कि इस टावर पे चढ़ कर कई लोग आत्महत्या का प्रयास कर चुके हैं और इसलिए स्थानीय लोग इसे सुसाइड टावर के नाम से भी जानते हैं। 
सुसाइड टावर 
अब समय हो चला था की हम रोज गार्डन को देखते हुए मनाली के सफर की शुरुआत करें क्यूंकि 8 -9 घंटे का सफर अँधेरा होने के पहले पूरा किया जा सके। झील के पास स्थित कैफेटेरिया में हमलोगों ने नाश्ता किया और रोज गार्डन की एक झलक पाने के लिए निकल पड़े। 
झील के पास स्थित कैफेटेरिया 
रोज गार्डन में बहुत ज्यादा समय बिताने का मौका नहीं मिल पाया और थोड़ी देर वहां रुक कर हम अपने गंतव्य की तरफ कूच कर गए। 
रोज गार्डन, चंडीगढ़ 
चंडीगढ़ से मनाली तक का सफर भी कम मनोरंजक नहीं था , पर उसके बारे में विस्तार से अगले अंक में....  तब तक के लिए अलविदा। .....